बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा-बुलडोजर चलाने वाले अधिकारी और संजय राउत को भी बनाया जाए पार्टी, सुनवाई बुधवार के लिए टली

रायबरेली से ब्यूरो चीफ,अर्जुन मिश्रा की रिपोर्ट

22/09/2020 9:56 PM Total Views: 16430

कंगना रनोट के पाली हिल्स वाले ऑफिस में तोड़फोड़ को लेकर एक्ट्रेस की और से बॉम्बे हाई कोर्ट में दायर याचिका पर अब बुधवार 11.30 बजे सुनवाई होगी। आज सुनवाई के दौरान बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस मामले में एक्ट्रेस के ऑफिस पर बुलडोजर चलाने का आदेश देने वाले अधिकारी और शिवसेना के राज्यसभा से सांसद संजय निरुपम को पक्षकार बनाने की बात कही है। कंगना की तरफ से संजय राउत के उखाड़ दिया वाले बयान कि सीडी हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान दी गई थी जिसके बाद हाईकोर्ट ने यह आदेश दिया है।

इससे पहले कंगना ने बॉम्बे हाई कोर्ट में बीएमसी के हलफनामे पर अपना जवाब दाखिल करते हुए कहा था कि उनके दफ्तर पर की गई बीएमसी की कार्रवाई पक्षपातपूर्ण थी। उन्होंने इस बात से भी इनकार किया कि जब कार्रवाई हुई, उस दौरान उनके दफ्तर में कोई निर्माण कार्य चल रहा था। वहीं दूसरी तरफ बीएमसी अवैध निर्माण का कोई भी सबूत पेश नहीं कर पाई है।

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इससे पहले अभिनेत्री कंगना रनोट ने सोमवार को बॉम्बे हाई कोर्ट में बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) के उन आरोपों से इनकार किया कि उनकी ओर से पाली हिल वाले ऑफिस में अवैध ढांचागत बदलाव किया गया था। इस बंगले के कुछ हिस्सों को बीएमसी ने 9 सितंबर को तोड़ दिया था। जिसके बाद एक्ट्रेस ने हाई कोर्ट का रुख किया था। अदालत ने इस मामले में कंगना से 14 सितंबर को और बीएमसी से 18 सितंबर को जवाब मांगा था। एक्ट्रेस की और से सोमवार को सप्लीमेंट्री एफिडेविट दायर किया गया था।

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उन्होंने इस बात से भी इनकार किया कि तोड़फोड़ को अवैध घोषित करने और बीएमसी द्वारा मुआवजे के तौर पर दो करोड़ रुपये की मांग वाली उनकी याचिका कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है। हलफनामे में उन्होंने कहा, “मैं इस बात से इनकार करती हूं कि मैंने गैरकानूनी रूप से कुछ जोड़ा या बदलाव किया जैसा कि आरोप लगाया गया है।”

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बीएमसी ने अपने हलफनामे में कही थी यह बात
बीएमसी ने पिछले हफ्ते अपने वकील जोएल कार्लोस के जरिये रनोट की याचिका के जवाब में न्यायमूर्ति एस जे कथावाला की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष हलफनामा दायर किया था। नगर निकाय ने कहा था कि अभिनेत्री ने इमारत में बिना इजाजत अहम ढांचागत बदलाव किये थे। उसने कहा कि बीएमसी अधिकारी नौ सितंबर को उन बदलावों को तोड़ने के दौरान सिर्फ नियमों का पालन कर रहे थे। नगर निकाय ने उच्च न्यायालय से अनुरोध किया था कि वह रनौत की याचिका को रद्द कर दे और उन पर याचिका दायर करने का जुर्माना भी लगाए जो कि न्यायिक प्रक्रिया का “दुरुपयोग” थी।

कंगना ने अपने हलफनामे में कही थी यह बात
वहीं रनोट ने बीएमसी के जवाब के बाद अपने हलफनामे में कहा कि नगर निकाय ने पर्याप्त समय दिये बिना उनकी संपत्ति के हिस्से को तोड़ने की प्रक्रिया शुरू कर वैधानिक प्रक्रिया का दुरुपयोग किया है। उन्होंने पहले कहा था कि बीएमसी ने उन्हें तोड़फोड़ के नोटिस का जवाब देने के लिये सिर्फ 24 घंटे का वक्त दिया और उसके नोटिस पर उनके जवाब को जल्दबाजी में खारिज कर दिया।

रनोट ने कहा कि बीएमसी ने नौ सितंबर को उनके खिलाफ पक्षपातपूर्ण कार्रवाई की क्योंकि बीएमसी ने उनके बंगले के बगल में स्थिति फैशन डिजाइनर मनीष मल्होत्रा के बंगले में कथित अवैध बदलावों को लेकर उन्हें भी नोटिस जारी किया था लेकिन मल्होत्रा को नोटिस का जवाब देने के लिये सात दिनों का वक्त दिया गया। उच्च न्यायालय द्वारा कंगना की याचिका पर अंतिम सुनवाई मंगलवार को किये जाने की उम्मीद है।

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